Tulsi Pujan Diwas 2025: 25 दिसंबर को ये गलती की तो नाराज़ हो सकती हैं तुलसी माता, जानिए पूरी विधि

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जब भी घर के आंगन में हरी-भरी तुलसी दिखती है, मन अपने आप शांत हो जाता है। ऐसा लगता है जैसे घर में कोई अदृश्य शक्ति पहरा दे रही हो। Tulsi Pujan Diwas 2025 हमें इसी भावना की याद दिलाता है। हिंदू धर्म में तुलसी को केवल एक पौधा नहीं, बल्कि माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। यही कारण है कि हर साल 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस पूरे श्रद्धा और विधि-विधान से मनाया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि जिस घर में तुलसी फलती-फूलती है, वहां रहने वालों पर बड़े संकट जल्दी प्रभाव नहीं डाल पाते।

संकट से पहले चेतावनी देती हैं तुलसी माता

धार्मिक ग्रंथों में तुलसी माता को अत्यंत संवेदनशील और चेतावनी देने वाली शक्ति माना गया है। मान्यता है कि जब किसी घर पर कोई बड़ा संकट आने वाला होता है, तो सबसे पहले वहां की तुलसी प्रभावित होती है। तुलसी का मुरझाना, सूखना या अचानक नष्ट होना इस बात का संकेत माना जाता है कि घर की सकारात्मक ऊर्जा कमजोर हो रही है।

इसे माता लक्ष्मी के घर से प्रस्थान का संकेत भी कहा गया है। इसके बाद आर्थिक परेशानी, मानसिक तनाव और पारिवारिक कलह बढ़ने लगती है। यही वजह है कि पुराने समय से लोग तुलसी के पौधे की स्थिति पर विशेष ध्यान देते आए हैं।

Tulsi Pujan Diwas 2025 पर तुलसी माता की पूजा केवल धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि आत्मचिंतन का भी अवसर है। यह दिन हमें यह समझने का मौका देता है कि हम अपने घर, रिश्तों और जीवन की ऊर्जा को कितना महत्व दे रहे हैं।

तुलसी पूजन दिवस का धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व

Tulsi Pujan Diwas 2025
Tulsi Pujan Diwas 2025

हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला तुलसी पूजन दिवस यह याद दिलाता है कि तुलसी धरती के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। धार्मिक दृष्टि से तुलसी का संबंध सीधे भगवान विष्णु से माना जाता है। वैष्णव परंपरा में बिना तुलसी दल के भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।

आयुर्वेद में तुलसी को अमृत तुल्य औषधि कहा गया है। इसका नियमित सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, सर्दी-खांसी जैसी सामान्य बीमारियों से बचाता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण पाए गए हैं।

Tulsi Pujan Diwas 2025 आज के समय में और भी प्रासंगिक हो जाता है, जब लोग प्राकृतिक जीवनशैली और आयुर्वेद की ओर दोबारा लौट रहे हैं। यह दिन धर्म और स्वास्थ्य दोनों को जोड़ने वाला सेतु बन जाता है।

तुलसी पूजन की सरल और शुभ विधि

तुलसी पूजन दिवस के दिन पूजा की विधि बहुत कठिन नहीं होती, लेकिन श्रद्धा और शुद्धता सबसे महत्वपूर्ण होती है।
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद तुलसी के पौधे की साफ-सफाई करें और उसके आसपास रंगोली व फूलों से सजावट करें।

तुलसी माता को जल अर्पित करें, दीपक जलाएं और कुमकुम चढ़ाएं। पंचामृत, फल, मिठाई और माला अर्पित करना शुभ माना जाता है। कुछ परिवार तुलसी माता का 16 श्रृंगार भी करते हैं। पूजा के दौरान वैदिक मंत्रों या तुलसी स्तुति का जाप करने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।

अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें। इस दिन दान-पुण्य, जरूरतमंदों की सहायता और बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना विशेष पुण्यकारी माना गया है।

तुलसी पूजन से मिलने वाले लाभ

तुलसी की नियमित पूजा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और परिवार के सदस्यों के बीच शांति बनी रहती है। आध्यात्मिक रूप से यह मन को स्थिर और सकारात्मक बनाती है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से तुलसी वातावरण को शुद्ध करती है और मानसिक तनाव कम करने में सहायक होती है। यही कारण है कि Tulsi Pujan Diwas 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि संतुलित और सकारात्मक जीवन जीने की प्रेरणा भी है।

Disclaimer:
यह लेख धार्मिक मान्यताओं, शास्त्रीय उल्लेखों और सामान्य आयुर्वेदिक जानकारी पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सूचना और जागरूकता प्रदान करना है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें।

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